भोपाल। गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) से संबद्ध हमीदिया अस्पताल में MRI और CT स्कैन को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। अस्पताल के पास खुद का इन-हाउस MRI और CT स्कैन सेंटर मौजूद होने के बावजूद रोजाना 12–13 जांचें अब भी आउटसोर्स एजेंसी के जरिए कराई जा रही हैं।
यह स्थिति तब है जबकि कुछ दिन पहले सुपरिटेंडेंट डॉ. सुनीत टंडन ने आदेश जारी किया था कि सभी जांचें केवल इन-हाउस सेंटर से ही कराई जाएं।
250 करोड़ का प्रोजेक्ट लटका
इसी विवाद की वजह से हमीदिया का 250 करोड़ रुपए का आधुनिक 11 मंजिला भवन निर्माण प्रोजेक्ट अटक गया है। इसमें 163 करोड़ रुपए इंफ्रास्ट्रक्चर और बाकी राशि उपकरणों पर खर्च होनी है।
पुराने भवन का एक हिस्सा तोड़ना जरूरी है, लेकिन वहीं पर आउटसोर्स एजेंसी MRI-CT जांच कर रही है। एजेंसी के हटने तक निर्माण कार्य आगे नहीं बढ़ पा रहा।
टेंडर पर नया विवाद: 7 साल नहीं, 10 साल का दावा
प्रबंधन का मानना था कि आउटसोर्स कंपनी को 7 साल का टेंडर मिला है, इसलिए भवन खाली कराया जा सकता है। लेकिन एजेंसी का दावा है कि टेंडर 10 साल का है और अभी 2 साल से ज्यादा शेष हैं। ऐसे में नियमों के अनुसार वह जांच जारी रखेगी।
आंकड़े बताते हैं तस्वीर
पिछले 7 दिनों में —
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इन-हाउस जांचें: 320
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आउटसोर्स जांचें: 90
स्पष्ट है कि आदेशों के बावजूद आउटसोर्स सेंटर पर जांचें जारी हैं।
डॉक्टरों और विभागों में मतभेद
इस विवाद को लेकर अस्पताल दो हिस्सों में बंट गया है। कुछ डॉक्टर चाहते हैं कि सभी जांचें इन-हाउस कराई जाएं ताकि आउटसोर्स सेंटर अपने आप बंद हो जाए। वहीं, कुछ विभाग अब भी पुरानी व्यवस्था पर काम कर रहे हैं। सवाल यह भी उठ रहा है कि जब अस्पताल के पास अपनी मशीनें हैं तो रेडियोडायग्नोसिस विभाग का स्टाफ आउटसोर्स एजेंसी को सेवाएं क्यों दे रहा है।
रेडियोडायग्नोसिस विभाग की एचओडी डॉ. लवली कौशल ने कहा कि विभाग जिम्मेदार नहीं है, यह कॉलेज और अस्पताल प्रबंधन का विषय है।
डीन का बयान
जीएमसी की डीन डॉ. कविता एन. सिंह ने कहा, “मामले पर उच्च स्तर पर चर्चा चल रही है। एजेंसी और अधिकारियों की बैठक हो चुकी है। जल्द समाधान निकलेगा और प्रोजेक्ट प्रभावित नहीं होगा।”