नई दिल्ली, 1 अक्टूबर 2025।
दिल्ली सरकार ने यमुना नदी और उसके ड्रेनेज सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए एक महत्वाकांक्षी सर्वे अभियान शुरू करने का फैसला किया है। पल्ला (दिल्ली-हरियाणा सीमा) से जैतपुर (दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा) तक 48 किलोमीटर में टोपोग्राफिक और बैथिमेट्रिक सर्वे कराया जाएगा। इसका उद्देश्य नदी की गहराई, रुकावटें और जमा गाद का पता लगाना है, जिससे बाढ़ के खतरे को कम किया जा सके।
यमुना की गहराइयों में छिपे रहस्य
बैथिमेट्रिक सर्वे में सोनार और इको साउंडर जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल होगा। हर 250 मीटर पर नदी के क्रॉस-सेक्शन को रिकॉर्ड किया जाएगा ताकि रेत, मिट्टी या कचरा जमा होने का पता चल सके। टोपोग्राफिक सर्वे में नदी के किनारों के 100 मीटर दायरे में तटबंध, घाट, नाले, द्वीप और अतिक्रमण जैसी सभी चीजें मैप की जाएंगी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हम यमुना को और बेहतर बनाना चाहते हैं। यह सर्वे हमें नदी की सेहत को समझने और भविष्य में रिवरफ्रंट डेवलपमेंट और नेविगेशन प्रोजेक्ट्स के लिए मार्गदर्शन देगा।”
हाई-टेक तकनीक से होगा काम
सर्वे में मोटरबोट्स पर लगे इलेक्ट्रॉनिक टोटल स्टेशन, सिंगल और मल्टी-बीम सोनार, GPS और मोशन सेंसर का उपयोग किया जाएगा। डेटा को विशेष सॉफ्टवेयर के माध्यम से प्रोसेस करके डिजिटल सरफेस मैप तैयार किया जाएगा, जिससे नदी के तल की हर छोटी-बड़ी जानकारी सामने आएगी।
नजफगढ़ और सप्लीमेंट्री ड्रेन का सर्वे
यमुना के साथ-साथ दिल्ली के सबसे बड़े ड्रेनेज सिस्टम नजफगढ़ ड्रेन और उसके सप्लीमेंट्री ड्रेन में भी सर्वे होगा। नजफगढ़ ड्रेन का सर्वे दो चरणों में किया जाएगा। पहला चरण ओल्ड ककरोला रेगुलेटर से बसई दारापुर ब्रिज (20 किमी) तक होगा, जिसकी लागत लगभग 19 लाख रुपये है। दूसरा चरण बसई दारापुर से तिमारपुर ब्रिज (12 किमी) तक होगा, जिसकी लागत करीब 7 लाख रुपये होगी। सप्लीमेंट्री ड्रेन का सर्वे इसके उद्गम से रिठाला ब्रिज तक किया जाएगा।
लागत और समय
यमुना के टोपोग्राफिक और बैथिमेट्रिक सर्वे की अनुमानित लागत 75 लाख रुपये है और इसे 8 महीनों में पूरा करना होगा। नजफगढ़ और सप्लीमेंट्री ड्रेन के सर्वे की कुल लागत 40 लाख रुपये है।
यमुना की ड्रेजिंग की तैयारी
पिछले महीने जल मंत्री प्रवेश वर्मा ने यमुना नदी की ड्रेजिंग योजना का ऐलान किया था। इसके लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की मंजूरी ली जाएगी। ड्रेजिंग से नदी का प्रवाह सुधरेगा, ड्रेनेज सिस्टम पर दबाव कम होगा और निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा घटेगा।
सर्वे और ड्रेजिंग के इन कदमों से दिल्ली की लाइफलाइन मानी जाने वाली यमुना नदी की सुरक्षा और सेहत को मजबूती मिलेगी, साथ ही भविष्य में रिवरफ्रंट डेवलपमेंट और नेविगेशन प्रोजेक्ट्स के लिए भी दिशा तय होगी।