भोपाल। सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा को लेकर राजधानी भोपाल में तैयारियां जोरों पर हैं। नगर निगम और प्रशासनिक टीमों ने शहर के 52 घाटों पर सफाई, मरम्मत, रंग-रोगन, विद्युत सज्जा, पेयजल, चलित शौचालय और चेंजिंग रूम जैसी सुविधाओं को दुरुस्त करने का कार्य शुरू कर दिया है।
शहर के प्रमुख घाट — शीतलदास की बगिया, कमला पार्क, वर्धमान पार्क (सनसेट पॉइंट), खटलापुरा घाट, काली मंदिर घाट, प्रेमपुरा घाट, अयोध्या बायपास, हथाईखेड़ा डैम, बरखेड़ा और घोड़ा पछाड़ डैम — इस वर्ष भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के साक्षी बनेंगे।
भोजपुरी एकता मंच के अध्यक्ष कुंवर प्रसाद ने बताया कि इस बार लाखों श्रद्धालु छठ महापर्व में हिस्सा लेंगे। शहर भर में उत्साह का माहौल है और तैयारियां लगभग अंतिम चरण में पहुँच चुकी हैं। मंच के सदस्यों ने कई घाटों का निरीक्षण भी किया। इस दौरान ज्ञानदेव मिश्रा, शिववचन प्रजापति, योगेंद्र सिंह, मोहन जायसवाल, ललन गुप्ता, एके सिंह, विजय सोनी, चंद्रशेखर तिवारी सहित बड़ी संख्या में समाजजन मौजूद रहे।
छठ महापर्व का चार दिवसीय क्रम
1️⃣ पहला दिन – नहाय-खाय (25 अक्टूबर)
छठ की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। व्रती महिलाएं पवित्र नदी या तालाब में स्नान कर लौकी-भात (कद्दू-भात) का प्रसाद बनाती हैं। इस दिन लहसुन-प्याज रहित भोजन तैयार किया जाता है, जिसमें लौकी की सब्जी, अरवा चावल, चने की दाल, आंवला की चटनी, पापड़ और तिलौरी शामिल होते हैं। यह प्रसाद सबसे पहले व्रती ग्रहण करती हैं, जिससे शरीर और आत्मा की शुद्धि मानी जाती है।
2️⃣ दूसरा दिन – खरना (26 अक्टूबर)
दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को खरना मनाया जाता है। व्रती पूरे दिन उपवास रखकर शाम को गुड़ की खीर और गेहूं के आटे की रोटी बनाती हैं। यह प्रसाद भगवान भास्कर को अर्पित किया जाता है। पूजा के बाद व्रती 36 घंटे के निर्जला व्रत का संकल्प लेती हैं। पूजा में मिट्टी के चूल्हे और आम की लकड़ी का प्रयोग शुभ माना जाता है।
3️⃣ तीसरा दिन – डाला छठ (सांझी अर्घ्य, 27 अक्टूबर)
इस दिन व्रती महिलाएं ठेकुआ, चावल के लड्डू और फल-सामग्री का प्रसाद बनाती हैं। शाम को घाटों पर बांस की टोकरी और सूप में अर्घ्य की सामग्री सजाई जाती है और अस्त होते सूर्य को दूध और जल से अर्घ्य दिया जाता है। इस अवसर पर घाटों पर पारंपरिक गीतों की गूंज रहती है। ऐसा माना जाता है कि डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से आंखों की रोशनी बढ़ती है और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।
4️⃣ चौथा दिन – भोर अर्घ्य और पारण (28 अक्टूबर)
अंतिम दिन व्रती महिलाएं उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपना 36 घंटे का निर्जला व्रत पूरा करती हैं। इसके बाद पारण किया जाता है। व्रती चावल, दाल, सब्जी, साग, पापड़, बड़ी और पकौड़ी का भोजन ग्रहण करती हैं। इसके बाद पूरा परिवार प्रसाद के रूप में भोजन करता है।
भक्ति और उत्साह से सराबोर भोपाल
शहर के घाटों पर सजावट और प्रकाश व्यवस्था से त्यौहार का माहौल बन गया है। हर साल की तरह इस बार भी छठ व्रतियों और श्रद्धालुओं के बीच अपार श्रद्धा देखने को मिल रही है। प्रशासन ने सुरक्षा, स्वच्छता और यातायात व्यवस्था के लिए विशेष दल तैनात किए हैं ताकि पूजा में किसी तरह की असुविधा न हो।
छठ पर्व केवल पूजा-अर्चना का नहीं, बल्कि संयम, श्रद्धा और सूर्य उपासना का प्रतीक है — जो लोक आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है।