भोपाल, 30 मई 2025 — मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आज पहली बार ट्राइबल इन्फ्लुएंसर्स मीट का आयोजन किया जा रहा है। इस खास कार्यशाला के लिए सोशल मीडिया पर लोकप्रिय और डिजिटल प्लेटफॉर्म में रुचि रखने वाले आदिवासी युवाओं का चयन किया गया है। कार्यक्रम भोपाल के श्यामला हिल्स स्थित ट्राइबल म्यूजियम में 30 और 31 मई को आयोजित होगा, जिसका शुभारंभ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव करेंगे।
कार्यक्रम की झलक
कार्यशाला की शुरुआत आज सुबह 10 बजे हुई, जिसमें चयनित युवा डिजिटल मार्केटिंग, सोशल मीडिया एल्गोरिदम, पर्सनल ब्रांडिंग और मॉनिटाइजेशन की तकनीकें सीखेंगे। कल, 31 मई को ये सभी युवा महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन के दौरान प्रोजेक्ट वर्क पूरा करेंगे और शाम 5:30 बजे म्यूजियम में कार्यशाला का समापन होगा।
विशेषज्ञों से सीखने का मौका
इस ट्रेनिंग में देश के दिग्गज एक्सपर्ट्स हिस्सा ले रहे हैं:
✅ डॉ. हिमांशु राय (डायरेक्टर, IIM इंदौर)
✅ आशीष शर्मा (ब्रांड मैनेजमेंट एक्सपर्ट, स्टीलवुड, दिल्ली)
✅ लक्ष्य मेहलावत (प्रोजेक्ट मैनेजमेंट एक्सपर्ट, कॉन्सिलियो, गुरुग्राम)
✅ डॉ. निशांत खरे (सीनियर सर्जन व सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर)
✅ लक्ष्मण सिंह मरकाम (एडिशनल सेक्रेटरी, मप्र शासन)
✅ श्रुति यादव (डिजिटल मार्केटिंग एक्सपर्ट, अमेजन, बेंगलुरु)
✅ नेहा बग्गा (पब्लिक पॉलिसी एंड लीडरशिप एक्सपर्ट, MIT पुणे)
✅ रिमझिम गौर (स्ट्रेटजिक लीडरशिप एक्सपर्ट, स्पाइंस रिसर्च एंड एनालिसिस, दिल्ली)
क्यों हो रही यह पहल?
मध्यप्रदेश की 21% आबादी आदिवासी समुदाय से आती है, लेकिन डिजिटल दुनिया में उनकी हिस्सेदारी बेहद कम है। इस पहल का उद्देश्य है आदिवासी युवाओं को आत्मनिर्भर बनाना, उन्हें डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर सशक्त बनाना और उनके जरिए समुदाय की कहानियां, कला, संस्कृति और स्थानीय टूरिज्म को बढ़ावा देना।
कार्यशाला के उद्देश्य
➡️ इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर आदिवासी युवाओं की सक्रियता बढ़ाना।
➡️ सांस्कृतिक रूप से क्रिएटिव और इंटरनेशनल लेवल का कंटेंट तैयार करना।
➡️ एफिलिएट मार्केटिंग और सरकारी साझेदारी से आमदनी के स्रोत खोलना।
➡️ सरकारी योजनाओं का प्रचार और जमीनी फीडबैक देना।
➡️ समुदाय और सरकार के बीच संवाद का पुल बनना।
क्या-क्या सिखाया जाएगा?
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एल्गोरिदम और क्रिएटर प्रोफाइल की समझ
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पर्सनल ब्रांडिंग
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मोबाइल से वीडियो स्टोरी बनाना
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ऑडियो-वीडियो एडिटिंग
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SEO, SMO और एनालिटिक्स टूल्स
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कंटेंट मॉनिटाइजेशन की रणनीतियां
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डिजिटल सिक्योरिटी
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आदिवासी वर्ग के लिए सरकारी योजनाओं की जानकारी
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सामाजिक जवाबदेही की रिपोर्टिंग
8 दिन की ट्रेनिंग
भोपाल में दो दिन की ऑन-ग्राउंड वर्कशॉप के बाद, अगले 6 दिन ऑनलाइन ट्रेनिंग दी जाएगी। इसमें 18–35 साल के डिजिटल साक्षर या सोशल मीडिया में रुचि रखने वाले आदिवासी युवा शामिल हो सकेंगे।