भोपाल, 10 जून 2025: मध्यप्रदेश सरकार अब मच्छर जनित रोगों जैसे डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया और जापानी इंसेफ्लाइटिस (JE) पर लगाम कसने के लिए हाई-टेक टेक्नोलॉजी का सहारा ले रही है। मानसून से पहले भोपाल और ग्वालियर में AI और GPS आधारित इंटीग्रेटेड ड्रोन सर्विस की शुरुआत की जा रही है। इस इनोवेटिव प्रोजेक्ट का उद्देश्य है—मच्छरों की ब्रीडिंग रोककर इन बीमारियों की रोकथाम।
अब छतों पर मिलेगा लार्वा, तो कटेगा चालान
जिन भवनों की छतों या खुले प्लॉटों पर पानी जमा मिलेगा और मच्छरों का लार्वा विकसित होता पाया जाएगा, उनके खिलाफ सीधी कार्रवाई की जाएगी। विभाग का कहना है कि ड्रोन उन जगहों पर भी नजर रख सकेंगे, जहां तक ग्राउंड स्टाफ की पहुंच नहीं है।
पांच चरणों में होगा ड्रोन एक्शन प्लान:
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GPS आधारित मैपिंग: हाई-रिस्क एरिया की सटीक मैपिंग
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हाई-रेजोल्यूशन इमेज कैप्चर: ब्रीडिंग साइट्स की पहचान
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डेटा शेयरिंग: इमेजेस और लोकेशन ग्राउंड टीम को भेजी जाएंगी
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ग्राउंड एक्शन: कर्मचारी मौके पर जाकर लार्वा को नष्ट करेंगे
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ड्रोन से दवा छिड़काव: जरूरत पड़ने पर ड्रोन से दवा का छिड़काव और री-मैपिंग की जाएगी
इंदौर में पायलट प्रोजेक्ट के शानदार नतीजे
इंदौर के 10 हाई-रिस्क क्षेत्रों में इस तकनीक का सफल ट्रायल हो चुका है, जहां डेंगू के मामलों में 60% की कमी दर्ज की गई। वर्ष 2023 में जहां 700 से अधिक मामले थे, वहीं तकनीक लागू होने के बाद यह संख्या घटकर 550 रह गई।
अब ज़ोर ऑर्गेनिक दवाओं पर
स्वास्थ्य विभाग के उप संचालक डॉ. हिमांशु जायसवाल के अनुसार, इस बार मच्छरों को खत्म करने के लिए 75% ऑर्गेनिक और 25% केमिकल दवाओं का छिड़काव किया जाएगा। इससे मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर रासायनिक दवाओं के दुष्प्रभाव भी घटेंगे।
लक्ष्य: 2030 तक मलेरिया मुक्त मध्यप्रदेश
इस अत्याधुनिक तकनीक और ड्रोन आधारित निगरानी के ज़रिए स्वास्थ्य विभाग का उद्देश्य है कि 2030 तक मध्यप्रदेश को मलेरिया मुक्त बनाया जा सके। इस दिशा में यह तकनीक एक गेम चेंजर साबित हो सकती है।