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मध्य प्रदेश

भोपाल: एक ही तहसील में तीन साल से जमे 33 पटवारी हटाए गए, 4 RI का भी ट्रांसफर — सांसद की शिकायत के बाद प्रशासन की कार्रवाई

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भोपाल की एक तहसील में तीन साल से अधिक समय से पदस्थ 33 पटवारी और 4 राजस्व निरीक्षक (RI) का तबादला किया गया है। प्रशासन ने इन्हें एक तहसील या हल्के से दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया है। यह कार्रवाई भाजपा सांसद आलोक शर्मा द्वारा की गई शिकायत के बाद सामने आई है।

 क्या है मामला?

करीब 8 महीने पहले, भोपाल सांसद आलोक शर्मा ने प्रदेश के प्रभारी मंत्री चैतन्य काश्यप की उपस्थिति में आयोजित समीक्षा बैठक में यह मुद्दा उठाया था। उन्होंने प्रशासन को एक लिस्ट सौंपी थी, जिसमें बताया गया था कि कई पटवारी और RI एक ही हल्के या तहसील में 3 से लेकर 23 साल तक से अधिक समय से पदस्थ हैं, जिससे कार्यप्रणाली पर सवाल उठते हैं।

कितनी बड़ी थी शिकायत?

सांसद शर्मा ने 183 पटवारियों और RI की लिस्ट प्रशासन को दी थी। इसमें विशेष रूप से हुजूर और बैरसिया तहसील के 84-84 और कोलार तहसील के 15 पटवारियों का उल्लेख किया गया था, जो नियमों के विपरीत वर्षों से एक ही हल्के में पदस्थ थे।

हालांकि प्रशासन ने अब तक लिस्ट में शामिल सभी नामों पर कार्रवाई नहीं की है। कई पटवारियों के नाम मंगलवार को जारी हुई तबादला सूची में भी देखे गए।

वर्षों से जमे कुछ चर्चित नाम:

  • भगवत सिंह धनगर

  • नरेंद्र बचोतिया

  • योगेंद्र कुमार सक्सेना

  • नासिर उद्दीन

  • रेणू पटेल

  • प्रीति गुप्ता

  • जयेंद्र चंदेलकर

  • मुकुल सराठे

  • अर्चना भटनागर
    (और अन्य कई नाम...)


इनमें से कई अफसरों के बारे में कहा जाता है कि उन्हें वल्लभ भवन में बैठे कुछ वरिष्ठ अफसरों का संरक्षण प्राप्त है। सांसद शर्मा ने यह भी आरोप लगाया था कि कुछ अधिकारियों की निजी ज़मीनें संबंधित क्षेत्रों में स्थित हैं, जिससे हितों का टकराव भी हो सकता है।

क्या कहता है नियम?

प्रशासनिक नियमों के अनुसार, पटवारियों का हर 3 साल में हल्का बदला जाना चाहिए। भोपाल में वर्तमान में 222 पटवारी और लगभग 35 राजस्व निरीक्षक कार्यरत हैं। लेकिन रिपोर्ट के अनुसार कई पटवारी 8 से 15 साल तक एक ही हल्के में जमे हुए थे, और कुछ तो 23 साल तक एक ही तहसील में बने रहे।

सांसद की पहल के बाद प्रशासन ने कार्रवाई की शुरुआत तो कर दी है, लेकिन पूरी सूची पर अब भी कार्रवाई बाकी है। इससे यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या प्रशासनिक सख्ती भविष्य में भी जारी रहेगी या यह सिर्फ दिखावटी प्रयास भर है?

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