इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर पहुंचे Axiom Mission 4 (Ax-4) के अंतरिक्ष यात्रियों ने आज अपने अंतरिक्ष प्रवास का पहला सप्ताह पूरा कर लिया है।
कमांडर पेगी व्हिटसन, पायलट शुभांशु "शक्स" शुक्ला, और मिशन स्पेशलिस्ट्स स्लावोश "सुवेव" उज़्नांस्की-विस्निवेस्की तथा तिबोर कापू ने 26 जून को ISS पर डॉक किया था। तब से अब तक उन्होंने लगभग 113 बार पृथ्वी की परिक्रमा की है, जिसमें 2.9 मिलियन मील (लगभग 46 लाख किलोमीटर) से अधिक की दूरी तय की जा चुकी है — जो कि पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से लगभग 12 गुना अधिक है।
आज विश्राम, कल से फिर अनुसंधान
आज का दिन Ax-4 दल के लिए विश्राम का दिन रहा। क्रू मेंबर्स को कुछ समय अपने परिवार और दोस्तों से संपर्क करने का अवसर मिला, जिससे वे मानसिक रूप से तरोताजा हो सकें।
कल से वे एक बार फिर वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रौद्योगिकी प्रयोगों से भरे व्यस्त कार्यक्रम की ओर लौटेंगे, जो सप्ताहांत तक चलेगा।
अब तक के उल्लेखनीय वैज्ञानिक कार्य
Ax-4 मिशन के केवल 7 दिनों में ही क्रू ने अंतरिक्ष अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं:
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पेगी व्हिटसन ने माइक्रोग्रैविटी (अंतरिक्षीय भारहीनता) में कैंसर कोशिकाओं के व्यवहार पर प्रयोग किए हैं, जो मेटास्टेटिक कैंसर के लिए नए उपचार के रास्ते खोल सकते हैं।
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शुभांशु "शक्स" शुक्ला, जो भारत के पहले ISS पर गए अंतरिक्ष यात्री हैं, ने शैवाल (algae) और टार्डीग्रेड्स (सूक्ष्म जीव) पर प्रयोग किए हैं। ये प्रयोग दर्शाते हैं कि अंतरिक्ष की स्थिति कैसे उनके विकास और जीन व्यवहार को प्रभावित करती है, जिससे कोशिकीय लचीलापन को समझने में मदद मिल सकती है।
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स्लावोश “सुवेव” उज़्नांस्की-विस्निवेस्की ने एक wearable ध्वनि निगरानी डिवाइस का परीक्षण किया है, जिससे स्पेस स्टेशन में शोर स्तर को बेहतर तरीके से मॉनिटर किया जा सकता है। यह तकनीक भविष्य के अंतरिक्ष यानों के डिज़ाइन और अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकती है।
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तिबोर कापू एक हंगेरियन डोसिमीटर की मदद से रेडिएशन स्तरों की निगरानी कर रहे हैं, साथ ही ऑर्बिट पर माइक्रोग्रीन्स उगाने की परियोजना भी चला रहे हैं — जो कि अंतरिक्ष में स्थायी खाद्य उत्पादन की दिशा में बड़ा कदम है।
ऐतिहासिक अंतरराष्ट्रीय भागीदारी
Ax-4 मिशन भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए ऐतिहासिक है, क्योंकि यह पहला मौका है जब इन तीन देशों के अंतरिक्ष यात्री एक साथ ISS पर पहुंचे हैं। यह इन देशों की चार दशकों के बाद मानव अंतरिक्ष उड़ान में वापसी का प्रतीक भी है।
यह पूरी तरह से निजी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर आधारित एक मिशन है, जिसमें दो सप्ताह के प्रवास के दौरान 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए जा रहे हैं।
सौ से अधिक सूर्योदय-सूर्यास्त, और प्रेरणादायक भविष्य
अब तक यह दल 100 से अधिक सूर्योदय और सूर्यास्त अंतरिक्ष से देख चुका है। Ax-4 मिशन न केवल विज्ञान को आगे बढ़ा रहा है, बल्कि अगली पीढ़ी के अंतरिक्ष यात्रियों को भी प्रेरित कर रहा है।
कल से, एक दिन के विश्राम के बाद, दल फिर से अनुसंधान और शिक्षा से जुड़ी गतिविधियों में पूरी ऊर्जा के साथ जुट जाएगा।