भोपाल/कटनी। नर्मदा एक्सप्रेस के एसी कोच से रहस्यमय तरीके से लापता हुई एडवोकेट अर्चना तिवारी को 13 दिन बाद पुलिस ने सकुशल बरामद कर लिया। इंदौर में सिविल जज की तैयारी कर रही और कटनी की रहने वाली अर्चना को जीआरपी ने बुधवार को परिजनों के सुपुर्द किया। बरामदगी के बाद दिए गए बयान में अर्चना ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।
कॉन्स्टेबल करता था परेशान, दोस्त ने दी मदद
अर्चना ने बताया कि ग्वालियर पुलिस का कॉन्स्टेबल राम सिंह तोमर उसे लंबे समय से फोन और मैसेज कर परेशान कर रहा था। जबलपुर में प्रैक्टिस के दौरान उसकी पहचान राम से हुई थी। वहीं, शुजालपुर निवासी सारांश जोगचंद्र को उसने करीबी दोस्त बताया। गुमशुदगी की पूरी अवधि में सबसे ज्यादा मदद सारांश ने ही की।
परिवार बना रहा था शादी का दबाव
पुलिस के मुताबिक, अर्चना परिजन द्वारा तय रिश्ते और शादी के दबाव से परेशान थी। इसी कारण उसने दोस्त सारांश के साथ पहले हरदा के एक ढाबे पर भागने की प्लानिंग बनाई थी, लेकिन बाद में गुमशुदगी का नाटक रच दिया।
कैसे हुई थी गुमशुदगी की प्लानिंग?
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7 अगस्त को अर्चना नर्मदा एक्सप्रेस के एसी कोच B-3 से यात्रा कर रही थी।
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उसने जानबूझकर ट्रेन में सामान छोड़ दिया ताकि लगे कि वह कहीं गिर गई है।
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इटारसी स्टेशन के आउटर से बिना सीसीटीवी वाले हिस्से से बाहर निकली।
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नर्मदापुरम निवासी तेजेंदर सिंह ने उसे कपड़े दिए और मोबाइल जंगल में फेंक दिया।
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इसके बाद वह सारांश के साथ कार से निकली और हैदराबाद होते हुए नेपाल चली गई।
नेपाल जाने की प्लानिंग, दिल्ली से पकड़ी गई
पुलिस जांच में सामने आया कि अर्चना नेपाल जाने की तैयारी कर रही थी। हालांकि दबाव बढ़ने पर उसे भारत-नेपाल बॉर्डर से राउंडअप किया गया। दिल्ली से फ्लाइट के जरिए बुधवार (20 अगस्त) को उसे भोपाल लाया गया।
पुलिस जांच में खुला राज
रेल एसपी राहुल कुमार लोधा ने बताया कि गुमशुदगी की मास्टरमाइंड खुद अर्चना थी। तीन लोगों ने उसकी मदद की थी। कॉन्स्टेबल राम तोमर का अपहरण या गुमशुदगी की साजिश से कोई सीधा संबंध नहीं निकला, लेकिन वह लगातार फोन कर अर्चना को परेशान करता था।