इंदौर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को इंदौर के हृदयस्थल राजवाड़ा में स्थित ऐतिहासिक दरबार हॉल (गणेश हॉल) के संरक्षण और पुनर्स्थापन कार्य का विधिवत शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम को शहर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्वरूप को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।
इतिहास को फिर से जीवंत करने की पहल
राजवाड़ा इंदौर की शान और पहचान का प्रतीक रहा है। यहां का गणेश हॉल, जो एक समय होलकर शासन के दौरान महत्वपूर्ण निर्णयों का साक्षी बना था, अब पुनः अपने ऐतिहासिक गौरव को प्राप्त करेगा। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि—
"हमारी धरोहर ही हमारी पहचान है। राजवाड़ा का संरक्षण केवल भवन का नवीनीकरण नहीं, बल्कि इंदौर की संस्कृति को संजोने का प्रयास है।"
संरक्षण से जुड़े प्रमुख उद्देश्य:
-
राजवाड़ा परिसर के गणेश हॉल को उसके मूल स्वरूप में बहाल करना।
-
भवन की संरचना में स्थानीय वास्तुशिल्प और परंपरागत शैलियों का उपयोग।
-
आने वाली पीढ़ियों को इतिहास और विरासत से जोड़ने के उद्देश्य से इसे सांस्कृतिक स्थल के रूप में विकसित करना।
पुनर्स्थापन कार्य की विशेषताएं:
-
संरक्षण कार्य में पारंपरिक निर्माण तकनीकों और स्थानीय सामग्री का प्रयोग।
-
दुर्लभ चित्रों, शाही दस्तावेजों और धरोहर वस्तुओं को प्रदर्शन के लिए संग्रहालय स्वरूप में प्रदर्शित किया जाएगा।
-
इंदौर के नागरिकों और पर्यटकों के लिए यह स्थल एक सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित होगा।
राजवाड़ा बनेगा पर्यटन का केंद्रबिंदु
राजवाड़ा न केवल इंदौरवासियों के लिए बल्कि देशभर से आने वाले पर्यटकों के लिए सांस्कृतिक पर्यटन स्थल के रूप में उभरेगा। यह पहल शहर की आर्थिक और सांस्कृतिक प्रगति को भी गति देगी।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अपील:
मुख्यमंत्री ने इंदौर की जनता से संस्कृति और धरोहर के संरक्षण में भागीदारी की अपील करते हुए कहा—
“राजवाड़ा सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि हमारी आत्मा है। हमें मिलकर इसकी रक्षा करनी है।”