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मध्य प्रदेश

MP पुलिस भर्ती में बड़ा फर्जीवाड़ा: आधार में बदली बायोमेट्रिक पहचान, सॉल्वर से दिलवाया एग्जाम!

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भोपाल, 2 जून 2025 — मध्य प्रदेश में पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में बड़े घोटाले का भंडाफोड़ हुआ है, जिसने एक बार फिर व्यापमं घोटाले की याद ताजा कर दी है। पुलिस ने ऐसे दर्जनों अभ्यर्थियों को गिरफ्तार किया है जिन्होंने खुद परीक्षा देने की बजाय सॉल्वर (दूसरे व्यक्ति) को बैठाया, आधार कार्ड की बायोमेट्रिक पहचान बदली और फिजिकल टेस्ट तक पास करवा लिया।

कैसे हुआ खुलासा?

सालों के इंतजार के बाद 2023 में हुई MP पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में चयनित अभ्यर्थी जब नियुक्ति लेने पहुंचे, तो दस्तावेज़ जांच में असली-नकली का खेल पकड़ में आ गया। कई मामलों में पाया गया कि:

  • परीक्षा देने वाले और जॉइनिंग पर पहुंचे अभ्यर्थी के फिंगरप्रिंट और चेहरे मेल नहीं खा रहे थे।

आधार कार्ड में परीक्षा से पहले और बाद में बायोमेट्रिक बदलाव किए गए थे।

मामले की पड़ताल में सामने आई चौंकाने वाली बातें

राम रूप गुर्जर (मुरैना) की जगह बिहार का सॉल्वर अमरेंद्र सिंह ₹1 लाख लेकर परीक्षा में बैठा। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार किया।

राधा चरण और दिनेश सिंह (मुरैना) के आधार अपडेट्स ने दस्तावेज़ जांच समिति का ध्यान खींचा। फिंगरप्रिंट जांच में फर्जीवाड़ा सामने आया।

श्योपुर जिले में चयनित 19 में से 3 अभ्यर्थी (सोनू रावत, संतोष रावत, अमन सिंह) फर्जी निकले। इनके सॉल्वर, साथ ही आधार अपडेट कराने वाले दलाल भी गिरफ्तार किए गए।

फर्जीवाड़े का पूरा तरीका

1️⃣ असली अभ्यर्थी सॉल्वर गिरोह से संपर्क करता।
2️⃣ सॉल्वर तय होने के बाद आधार कार्ड में बायोमेट्रिक बदलाव कराए जाते — चेहरा, फिंगरप्रिंट बदले जाते।
3️⃣ परीक्षा में सॉल्वर बैठता, लिखित और फिजिकल टेस्ट पास करता।
4️⃣ परीक्षा के बाद फिर असली अभ्यर्थी के आधार में पहचान अपडेट कर दी जाती ताकि वह नियुक्ति पर पहुंच सके।

सरकार और जांच एजेंसियां सतर्क

मामला सामने आने के बाद एमपी सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है। जांच में पाया गया कि यह फर्जीवाड़ा सिर्फ एक जिले तक सीमित नहीं है, बल्कि राज्यभर में फैला है। गोपनीय जांच शुरू कर दी गई है और पुलिस ने अब तक दर्जनभर से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

यह घोटाला एक बार फिर सवाल उठा रहा है कि क्या व्यापमं का नाम बदलने से कुछ बदला? पहले व्यापमं, फिर प्रोफेशनल एग्ज़ामिनेशन बोर्ड, और अब कर्मचारी चयन मंडल… लेकिन गड़बड़ियां जस की तस।

अब आगे क्या?

सभी संदिग्ध नियुक्तियों की जांच होगी।

दोषी पाए गए अभ्यर्थी और उनके सॉल्वर पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

आधार सिस्टम में सुरक्षा और मजबूत की जाएगी ताकि भविष्य में इस तरह की धोखाधड़ी रोकी जा सके।

यह मामला MP में सरकारी भर्तियों की पारदर्शिता पर फिर से सवाल खड़े कर रहा है।

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