भोपाल, मध्य प्रदेश | 12 नवंबर 2025 —
राजधानी भोपाल में आयोजित राज्य स्तरीय सरपंच महासम्मेलन के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के एक बयान ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। अपने संबोधन में उन्होंने कहा —
“कोई सचिव अगर काम नहीं करके दे रहा तो हटा देंगे साले को, चिंता क्यों कर रहे हो। जहां कोई तकलीफ देगा तो हटा देंगे। सचिव है, सहायक सचिव है, इनकी क्या औकात।”
मुख्यमंत्री का यह बयान अब सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है और विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे तुरंत मुद्दा बना लिया है।
🔹 सीएम ने सरपंचों को सशक्त करने की बात कही
भाषण के दौरान सीएम मोहन यादव ने कहा कि त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में सरपंचों को पर्याप्त अधिकार प्राप्त हैं और वे अपनी पंचायतों को नई ऊँचाइयों पर ले जा सकते हैं।
उन्होंने कहा —
“जो काम सरपंच कर सकता है, वो कोई और नहीं कर सकता। जमीन पर विकास कार्य सरपंच ही करते हैं। इसलिए पंचायतों को सशक्त बनाना हमारी सरकार की प्राथमिकता है।”
सीएम ने यह भी घोषणा की कि पंचायतों को 25 लाख रुपये तक के विकास कार्यों का अधिकार दिया जाएगा। साथ ही, सभी पंचायत प्रतिनिधियों को विकास कार्यों के लिए 50-50 हजार रुपये की राशि अंतरित करने की घोषणा भी की।
🔹 कांग्रेस ने की बयान की निंदा
सीएम के इस बयान पर मध्य प्रदेश कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
कांग्रेस ने अपने एक्स (Twitter) अकाउंट पर सीएम यादव का वीडियो शेयर करते हुए लिखा —
“हाँ, मोहन बाबू, आपके राज में माफियाओं के अलावा और किसी की औकात भी क्या है! गिरती भाषा और हल्के शब्दों का प्रयोग कर अपने पद की गरिमा को और कितना गिराएंगे मुख्यमंत्री जी?”
पार्टी ने कहा कि मुख्यमंत्री के शब्द न केवल अनुचित हैं, बल्कि मुख्यमंत्री पद की मर्यादा के भी विपरीत हैं।
🔹 ग्राम विकास और पंचायत सशक्तिकरण पर जोर
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि पंचायतों के माध्यम से ही ग्राम विकास का कारवां आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की योजना है कि हर ग्राम पंचायत में ‘शांति धाम’ की स्थापना की जाए और स्थानीय स्तर पर रोजगार आधारित उद्योग शुरू किए जाएं ताकि ग्राम स्वावलंबन को बढ़ावा दिया जा सके।
“पंचायतों के माध्यम से प्रदेश के हर गांव में कल्याणकारी योजनाओं और विकास कार्यों का क्रियान्वयन किया जा रहा है,” सीएम यादव ने कहा।
🔹 राजनीतिक असर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सीएम यादव का यह बयान उनके समर्थकों के बीच लोकप्रिय भले हो, लेकिन विपक्ष को सरकार पर हमला करने का नया अवसर दे गया है।
कांग्रेस ने इस मुद्दे को अब “भाषा की मर्यादा” से जोड़ते हुए विधानसभा और सोशल मीडिया दोनों स्तर पर उठाने के संकेत दिए हैं।
जहाँ मुख्यमंत्री मोहन यादव का उद्देश्य सरपंचों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना बताया जा रहा है, वहीं उनके शब्द चयन ने राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है।
अब देखना यह होगा कि सरकार इस बयान पर सफाई देती है या इसे “साधारण भावनात्मक अभिव्यक्ति” कहकर टालने की कोशिश करती है।