भोपाल में दिलकश मस्जिद और मोहम्मदी (भदभदा) मस्जिद को हटाने के आदेश के बाद शहर का माहौल गरमा गया है। जिला प्रशासन ने इन्हें बड़ा तालाब के एफटीएल क्षेत्र में बने अतिक्रमण के रूप में चिन्हित करते हुए नोटिस जारी किया है। प्रशासन ने साफ चेतावनी दी है कि यदि ढांचे को स्वेच्छा से नहीं हटाया गया तो बलपूर्वक कार्रवाई की जाएगी।
वक्फ बोर्ड ने दी कानूनी चुनौती
प्रशासन के इस कदम के खिलाफ एमपी वक्फ बोर्ड ने मोर्चा खोल दिया है। बोर्ड का दावा है कि दोनों मस्जिदें वक्फ संपत्ति हैं और इनके पास वर्षों पुराने कानूनी दस्तावेज मौजूद हैं। वक्फ बोर्ड ने इस मामले में हाईकोर्ट में रिट दाखिल कर दी है, जिस पर सुनवाई जारी है।
हिंदू-मुस्लिम संगठनों में तनातनी
मस्जिद हटाने की कार्रवाई को लेकर शहर का माहौल तनावपूर्ण हो गया है। मुस्लिम संगठनों ने चेतावनी दी है कि मस्जिद पर कार्रवाई की गई तो सड़कों पर बड़ा आंदोलन होगा। वहीं, हिंदू संगठनों ने भी अल्टिमेटम दिया है कि मस्जिदें किसी भी हाल में हटाई जानी चाहिए और अगर इन्हें बचाने की कोशिश हुई तो बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा।
प्रशासन का रुख और अन्य निर्माण भी निशाने पर
एसडीएम टीटी नगर अर्चना शर्मा ने जानकारी दी कि एनजीटी और पर्यावरण मंत्रालय की अधिसूचना के तहत तालाब के आसपास 50 मीटर शहरी और 250 मीटर ग्रामीण क्षेत्र में आने वाले सभी अतिक्रमण चिन्हित किए जा रहे हैं। इसमें मंदिर, समाधियों सहित कुल 35 निर्माण भी शामिल हैं।
सरकार का बयान
राज्य सरकार में मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि "लैंड जिहाद किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं होगा। एनजीटी और कानून के आदेशों का पालन हर हाल में किया जाएगा।"
अदालत के फैसले पर टिकी नजर
फिलहाल मामला हाईकोर्ट में लंबित है। अब देखना होगा कि अदालत का फैसला प्रशासन के पक्ष में आता है या वक्फ बोर्ड के दस्तावेज मस्जिदों को बचा पाते हैं। स्थिति को देखते हुए प्रशासन के लिए शांति बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती होगी।