भोपाल, मध्य प्रदेश: राजधानी भोपाल का एक डिजिटल क्लॉक टॉवर, जो कभी शहर की खूबसूरती बढ़ाने के लिए ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के दौरान बनाया गया था, अब अपने गलत समय दिखाने की वजह से सुर्खियों में है। शहर के कमला पार्क इलाके में स्थित इस क्लॉक टॉवर की चार दिशाओं में लगी घड़ियों में से दो में सात मिनट का अंतर देखा जा रहा है।
शहरवासियों और राहगीरों के लिए यह क्लॉक टॉवर अब एक समय का भ्रम बन गया है।
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जब आप कमला पार्क से पॉलिटेक्निक की ओर जाते हैं, तो घड़ी 7 मिनट पीछे का समय दिखाती है।
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वहीं पॉलिटेक्निक से राजभवन की ओर जाने पर वही घड़ी 7 मिनट आगे का समय बताती है।
इंजीनियरिंग या एंटरटेनमेंट?
इस विचित्र अंतर के कारण लोग इस क्लॉक टॉवर को 'टाइम ट्रैवल टॉवर', 'आठवां अजूबा' और 'भोपाल की इंजीनियरिंग का चमत्कार' कहकर सोशल मीडिया पर मज़ाक बना रहे हैं। कई यूज़र्स ने यह सवाल उठाया है कि लाखों की लागत से बनाए गए इस टॉवर में सिंक्रोनाइज़ेशन जैसी बुनियादी गलती कैसे रह गई?
यह घटना शहर में पहले से चर्चा में रहे ऐशबाग के 90 डिग्री फ्लाईओवर के बाद एक और विवादास्पद शहरी ढांचे को उजागर करती है।
टॉवर का इतिहास:
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स्थापना: ग्लोबल इन्वेस्टर समिट (GIS) के दौरान
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उद्देश्य: शहर की सुंदरता और आधुनिकता को दर्शाना
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स्थिति: कमला पार्क क्षेत्र, भोपाल
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विवाद: दिशाओं के अनुसार समय में अंतर; दो घड़ियों में 7 मिनट का अंतर
सवाल ये है…
शहरवासी अब यह जानना चाहते हैं कि यह तकनीकी चूक कब और कैसे सुधारी जाएगी? क्या यह प्रशासनिक लापरवाही है या सिर्फ घड़ियों का मामूली तकनीकी फॉल्ट? स्थानीय प्रशासन की ओर से अभी तक इस पर कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है।